सुवर्ण अक्षर (हिन्दी कविता)/ Hindi Poem
न थी सोने की कलम, न था चांदी का कागज़
सुवर्ण अक्षरों से बनी थी मेरी आज की कविता
कलम को तो हुआ अचरज, कागज़ भी शरमाके बोला,
कौन है वो फरिश्ता जिनके स्पर्श से ,
पारसमणी हो गए सारे अक्षर ?
दोनों की अचरज को मेरी रूह ने मुस्कुराके दिया जवाब,
रब ने की इबादत कबूल और मेरी मुस्कुराहट बनके Front में खड़े है वो,
करने मेरी गुल से मुलाकात, कलियों से भी लड़ गए है वो ।
अगर कविता हूं मैं, तो कविता के शब्द है वो ।
अगर सनमान हो सबसे बड़ा रत्न,
तो मेरा सबसे बड़ा रत्न है वो ।
ज़िद भी हररोज लेके चलती हूं मैं ,
सर नहीं झुकने दूंगी उनका मैं ।
प्यार का ऐसा ग्राफ है वो ,
जो कभी गिरता नहीं ।
रब से करती हूं बंदगी , लिखा है मेरी जिंदगी के लिए
मेरी जिंदगी हमेशा अमर रहे ।
मम्मी पापा, मोम डेड, पेरेंट्स अनेक नाम से जाने जाते है वो,
प्यार देते सागर से भी अधिक, वो ही उनकी पहचान है ।
कलम और कागज़ हुए मेरी बात से सहमत ,
Pray किया दोनों ने रब से और बोले ,
तेरी Priority हमेशा वो रहे ।
ટિપ્પણીઓ