मर्द हो? (हिन्दी कविता)/ mard ho ? (Hindi Poem)


Mard Ho ? Hindi Poem


मर्द हो तुम मर्दानगी दिखाओ
सुबह सुबह कॉफी पीते पीते पढ़ा अखबार
फ्रंट पेज पे पढ़ी खबर
भाई भाई का झगड़ा, बाप बेटे का झगड़ा
पति ने पत्नी को मौत के घाट उतारा
पुलिस ने दारू की महफ़िल लेते दोस्तों
को पकड़ा

क्या इसलिए माँ ने अपने बेटे को नौ मास
अपने पेट में रखा ?
क्या इसलिए बाप ने बेटे के जन्म पर घर
घर जाकर मुंह मीठा कराया ?
क्या इसलिए बहन मेरा भाई सौ साल जिए
ऐसा आशीर्वाद देती है ?
क्या इसलिए पत्नी पूरा दिन बिना खाए
पति लिए उपवास रखती है ?
मर्द हो तुम मर्दानगी दिखाओ

माँ के लाडले बाप का अभिमान हो तुम
भाई का यार और बहन के हीरो हो तुम
पत्नी का सोलह श्रृंगार सरूर की अमानत
हो तुम
बेटी की ख़ुशियाँ और बेटे की जरूरत
हो तुम
मर्द हो तुम मर्दानगी दिखाओ

पूर्वजों की यादें विरासत सब संभाल के रखो
वो अनमोल है उसका कोई मोल नहीं है
उसे भाव मत करो उसे बर्बाद मत करो
मर्द हो तुम मर्दानगी दिखाओ

मिलेगे ऐसा कहनेवाले लोग भी तुझे
अपनी जिंदगी जी लो बिंदास
किसी की भी परवाह मत करो
जो भी होगा देखा जाएगा
उसको भी बताओ आपकी जिंदगी
सिर्फ आपकी नहीं है
आपके सपने सिर्फ आपके नहीं है
कहीं रिश्ते आस लगाए बैठे है
व्यसन छोड़कर विनम्र बनकर दिखाओ
मर्द हो तुम मर्दानगी दिखाओ

करोड़ों अरबों में से सिर्फ़ आपको
चुनती है जो औरत
उसे कभी ये एहसास मत होने दो की 
सामाजिक रिवाज है इसलिए वो
आपके घर आई है
उसे मारपीट करके नीचा दिखाने में
अपनी मर्दानगी मत बताओ
मर्द हो तुम मर्दानगी दिखाओ



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